भोपाल
मध्यप्रदेश देश के हृदय स्थल में बसा एक ऐसा राज्य है जिसने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में आज पूरे देश में नई मिसाल कायम कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों को महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बनाया है। स्व-सहायता समूह न केवल ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उनकी स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है। सरकार की अनेक नीतियां और योजनाएं महिलाओं के उत्थान में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
स्व-सहायता समूहों के माध्यम से बदली जिंदगी
मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जा रहा है। वर्तमान में, राज्य में 5 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनमें लगभग 62 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। ये समूह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता, कौशल विकास, और सामुदायिक नेतृत्व के अवसर प्रदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि स्व-सहायता समूह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी एक जन-आंदोलन है। मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं जिनका प्रभाव राज्य के हर कोने में महसूस किया जा सकता है। मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना ने हजारों महिला समूहों को कम ब्याज पर ऋण दिलाकर उनके छोटे-छोटे व्यवसायों को सहारा दिया है। अब महिलाएं न सिर्फ घर चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं। अब तक 30 हजार 264 महिला समूहों और 12 हजार 685 महिला उद्यमियों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में 648.67 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है।
बचत को प्रोत्साहित करती "लाड़ली बहना योजना"
लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1.27 करोड़ बहनों के खाते में 1551.86 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता उनके खातों में पहुंच रही है। इससे न केवल आर्थिक रूप से महिलाओं की स्थिति बेहतर हो रही है बल्कि महिलाएं डिजिटल युग की सहभागी भी बन रही हैं। इस योजना में 1.27 करोड़ महिलाओं को अब तक 35,329 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, 25 लाख महिलाओं को 450 रुपये में गैस सिलेंडर रीफिलिंग के लिए 882 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उनके परिवारों में बचत को प्रोत्साहित कर रही है।
मुख्यमंत्री- "लाड़ली लक्ष्मी योजना" ने पेश की मिसाल
मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना में वर्ष 2024-25 में 2 लाख 73 हजार 605 बालिकाओं का पंजीकरण हुआ और लगभग 223 करोड़ रूपये से अधिक की छात्रवृत्ति यूनि-पे के जरिए वितरित की गई। अब तक कुल 50 लाख 41 हजार 810 बेटियां इस योजना का हिस्सा हैं।
' हम होंगे कामयाब अभियान' से मिला सम्मान
राज्य सरकार द्वारा नारी शक्ति मिशन के तहत जिला, परियोजना और ग्राम स्तर पर 100 दिवसीय जागरूकता "हम होंगे कामयाब अभियान" चलाया गया। इसमें प्रदेश में जेंडर संवादों, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, सायबर सुरक्षा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की महिलाओं को न केवल जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना भी सिखाया गया।
आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित 'लखपति दीदी'
मध्यप्रदेश सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 1 लाख से अधिक महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाया है। सरकार का लक्ष्य 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से 62 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित कर रही है।
महिला उद्यमिता को मिल रहा है प्रोत्साहन
मध्यप्रदेश में 850 से अधिक एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है, जिससे महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन मिला है। इसके अलावा, रेडीमेड गारमेंट उद्योग में कार्यरत महिलाओं को प्रति माह 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, जिससे उनकी मासिक आय में बढ़ोत्तरी हो रही है।
'महिला हेल्पलाइन' और 'महिला पुलिस स्टेशन ' दे रहे सुरक्षा
राज्य सरकार ने नारी सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखा है। पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई गई है और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। 'महिला हेल्पलाइन' और 'महिला पुलिस स्टेशन' जैसी सेवाओं को भी मजबूत किया गया है। महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को अब 112 आपात सेवा से जोड़ा गया है। वर्ष 2024-25 में लगभग 82 हजार 552 महिलाओं को त्वरित सहायता मिली है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक लाख 57 हजार महिलाओं को लाभ मिल चुका है
देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन के बढ़ते कदम
यह मिशन प्रदेश में लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया। यह मिशन महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। इस मिशन के तहत स्व-सहायता समूहों को स्टार्ट-अप अभियान से जोड़ा गया, जिसमें 8 करोड़ 10 लाख रुपये के निवेश पत्र वितरित किए गए। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के लिए न केवल सशक्तिकरण के अवसर पैदा किए गए हैं, बल्कि अब महिलाएं पारंपरिक घरेलू कार्यों से बाहर निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
यूनिसेफ ने सराहा सैनिटेशन और हाइजीन
सैनिटेशन और हाइजीन योजना के तहत प्रदेश की 19 लाख से अधिक बालिकाओं को 57 करोड़ 18 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है जिससे किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। यूनिसेफ ने भी मध्यप्रदेश के इन प्रयासों की सराहना की है।