ग्वालियर
लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (lNIPE) की महिला योग प्रशिक्षिका के यौन उत्पीड़न मामले में हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पीड़िता को 40 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश सुनाया है। इस राशि में से 35 लाख रुपये तत्कालीन कुलपति डॉ. दिलीप कुमार दुरेहा को देने होंगे, जबकि शेष 5 लाख रुपये राज्य सरकार देगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार यह राशि संबंधित पुलिस अधिकारियों से वसूलेगी, जिन्होंने मामले में तीन साल तक लापरवाही बरती।
यह फैसला न केवल यौन उत्पीड़न के खिलाफ न्याय की मिसाल बना है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संस्थानों और प्रशासन की निष्क्रियता किस तरह पीड़ितों के लिए मानसिक, भावनात्मक और करियर से जुड़ी तकलीफें खड़ी करती है।
हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पीड़िता को सिर्फ यौन उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि संस्थान और पुलिस की निष्क्रियता ने उसके साथ अन्याय को और भी गहरा किया। कोर्ट ने एलएनआईपीई पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है और पीड़िता को स्थानांतरण का विकल्प देने के निर्देश दिए हैं।
पीड़िता को मिली धमकियां
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि उत्पीड़न की घटना के बाद भी डॉ. दुरेहा लगातार दबाव बनाते रहे और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे। उसने 14 अक्टूबर 2019 को केंद्रीय खेल मंत्रालय को शिकायत दी थी, लेकिन संस्थान स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
सहयोगियों की भूमिका भी संदिग्ध
शिकायत में यह भी बताया गया कि तत्कालीन डायरेक्टर जनक सिंह शेखावत, योग विभाग की एचओडी इंदु वोरा, सहायक अध्यापिका पायल दास और समन्वयक विवेक पांडे ने आरोपों को दबाने की कोशिश की। उन्होंने न केवल सबूत मिटाए, बल्कि सीसीटीवी फुटेज भी बदलवा दिए और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया।
हाई कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट
महिला आयोग की सिफारिश पर बनी आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की जांच में भी पुष्टि हुई कि डॉ. दुरेहा ने अपने पद का दुरुपयोग कर पीड़िता को प्रताड़ित किया और संस्थान की कार्यसंस्कृति को दूषित किया। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए पीड़िता को न्याय दिलाने का निर्णय लिया।