चेन्नई
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पैगंबर मोहम्मद की 1500वीं जयंती के अवसर पर एक बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. स्टालिन ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद ने दुनिया को प्रेम और शांति का संदेश दिया और उनकी शिक्षाओं को अपनाकर विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी डीएमके हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों के साथ मजबूती से खड़ा रहेगी और उनके हितों की रक्षा करेगी. इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास करार दिया है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा- पैगंबर मोहम्मद ने दुनिया को मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया. उनकी 1500वीं जयंती के अवसर पर हमें उनके इस संदेश को अपनाना चाहिए और विश्व में शांति स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए. डीएमके हमेशा से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रही है. जब भी मुस्लिम समुदाय या अन्य अल्पसंख्यकों पर कोई संकट आएगा डीएमके उनकी रक्षा के लिए एक मजबूत किला बनकर खड़ी रहेगी.
तमिलनाडु की राजनीति में तूफान
इस बयान के बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा हो गया है. विपक्षी दलों विशेष रूप से बीजेपी और अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने स्टालिन के इस बयान को वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखा है. उसका कहना है कि स्टालिन का यह बयान धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है. डीएमके हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है और यह बयान उसी का एक उदाहरण है. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि डीएमके अल्पसंख्यक समुदाय को केवल वोटबैंक के रूप में देखती है और उनके कल्याण के लिए कोई ठोस नीति लागू नहीं करती.
मुख्यमंत्री ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और तीन तलाक जैसे मुद्दों को लेकर AIADMK पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अन्नाद्रमुक के विश्वासघात के कारण ही मुख्य विपक्षी दल (AIADMK) के अनवर राजा जैसे नेता उस पार्टी को छोड़कर DMK में शामिल हो गए। पैगंबर मोहम्मद की 1,500वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा कि द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरई और दिवंगत पार्टी संरक्षक एम करुणानिधि पहली बार तिरुवरूर में मिलाद-उन-नबी से जुड़े एक कार्यक्रम में मिले थे और दोनों नेताओं के बीच जो घनिष्ठता बढ़ी, वह तमिलनाडु के विकास की नींव बनी।
गाजा मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने का केंद्र से आग्रह
विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं की मौजूदगी का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि एकता जीत की ओर पहला कदम है। पैगंबर मोहम्मद के उपदेशों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुधारवादी नेता पेरियार ईवीआर और प्रतिष्ठित नेता अन्नादुरई तथा करुणानिधि ने पैगंबर के सिखाए समानता और प्रेम के संदेश की सराहना की थी। गाजा पट्टी की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए स्टालिन ने कहा कि फलस्तीनियों पर हो रहे अत्याचारों को तत्काल रोका जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से इस संबंध में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।
मिलाद-उन-नबी पर अवकाश
स्टालिन ने कहा कि करुणानिधि ने ही 1969 में मिलाद-उन-नबी के लिए अवकाश घोषित किया था और 2001 में अन्नाद्रमुक सरकार ने इसे रद्द कर दिया था, जबकि द्रमुक सरकार ने 2006 में इसे बहाल कर दिया था। स्कूली पाठ्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद पर विषयवस्तु शामिल करने के एसडीपीआई नेता नेल्लई मुबारक के अनुरोध का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे पहले ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है।
अगर मुसलमानों को कोई परेशानी होती है, तो…
उन्होंने कहा, ‘‘केवल इतना ही नहीं; अगर मुसलमानों को कोई परेशानी होती है, तो सबसे पहले आपके समर्थन में आने वाला राजनीतिक दल द्रमुक ही रहा है।’’ स्टालिन ने कहा, ‘‘वह द्रमुक ही थी, जिसने सीएए के खिलाफ सच्ची मित्रता की भावना से लड़ाई लड़ी थी।’’ अन्नाद्रमुक प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी का नाम लिए बिना स्टालिन ने कहा, ‘‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किसने पूछा था कि क्या कोई इससे (सीएए) प्रभावित हुआ है और इन्हीं के शासन काल में सीएए का विरोध करने पर मुसलमानों पर लाठीचार्ज किया गया था।’’
AIADMK के मानदंड दोहरे
उन्होंने कहा कि इसी तरह, केंद्र के तीन तलाक कानून लाने पर अन्नाद्रमुक द्वारा अपनाए गए ‘‘दोहरे मानदंडों’’ से सभी वाकिफ हैं, यही कारण था कि अनवर राजा जैसे नेता विश्वासघात के कारण अन्नाद्रमुक छोड़कर द्रमुक में शामिल हो गए। स्टालिन ने अन्नाद्रमुक का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जो लोग भाजपा की घटिया और निरंकुश राजनीति का समर्थन करके विश्वासघात कर रहे हैं, उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए।’