श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले के डिजिटल सबूत पाकिस्तान से जुड़ते नजर आ रहे हैं. भारत की खुफिया एजेंसियों ने कहा है कि हमले के संदिग्ध आतंकियों के डिजिटल फुटप्रिंट मुजफ्फराबाद और कराची स्थित सेफ हाउस तक पहुंच रहे हैं. इससे इस हमले के क्रॉस बॉर्डर लिंक का सबूत मिल रहा है. बता दें कि इस हमले में अबतक 28 सैलानियों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जन भर से ज्यादा लोग घायल हैं.
खुफिया सूत्रों ने घटनास्थल से बरामद फॉरेंसिक एनालिसिस और हमले में बचे लोगों से मिली जानकारी के आधार पर कहा है कि आतंकियों ने सेना के लिए इस्तेमाल होने वाले हथियारों का इस्तेमाल हमले के लिए किया. इसका ये अर्थ निकलता है कि हमलावर पूरी तरह से ट्रेंड थे और उन्हें सभी जरूरी हथियार मिले थए.
भारत की एजेंसियों को घटनास्थल के आस-पास एडवांस कैटेगरी के संचार उपकरण मिले हैं. इससे ये संकेत मिलता है कि आतंकियों को बाहर से लॉजिस्टिक सपोर्ट और सहयोग मिल रहा था.
खुफिया एजेंसियों का दावा है कि हमलावर आतंकी पाकिस्तान में बैठे ऑपरेटिव के साथ प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में थे.
पहलगाम हमले के संदिग्धों के डिजिटल कनेक्शन पाकिस्तान स्थित मुजफ्फराबाद और कराची के 'सेफ हाउस' पर पाए गए, जिससे सीमा पार आतंकियों के संबंध के साक्ष्य मजबूत हुए.
सुरक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हथियारों की प्रकृति और हमले की सटीकता से पता चलता है कि आतंकियों ने प्रशिक्षित संचालकों से सैन्य सहायता ली थी.
बता दें कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जो छद्म नाम लेकर आतंकी हमले करता है ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
खुफिया एजेंसियों के अनुसार आतंकवादी पूरी तैयारी के साथ हमले के लिए आए थे. आतंकवादियों ने अपनी पीठ पर बैग टांग रखे थे, जिसमें सूखे मेवे, दवाइयां और संचार उपकरण थे.
5 से 6 विदेशी आतंकवादियों का एक समूह कुछ समय से जंगल में छिपा हुआ था और स्थानीय लोगों की मदद से पहलगाम की रेकी कर रहा था.
तैयारी पूरी होने के बाद दहशतगर्दों ने मौका देखकर हमला कर दिया.
खुफिया एजेंसियों का दावा है कि 3 से4 आतंकवादियों ने एके-47 से लगातार फायरिंग की. इस दौरान 2 पाकिस्तानी आतंकवादी पश्तो भाषा बोल रहे थे. उनके साथ 2 स्थानीय आतंकी (आदिल और आसिफ) भी थे. ये दो स्थानीय आतंकवादी बिजभेरा और त्राल के हैं.
पाकिस्तानी आतंकियों ने बॉडी कैमरा पहनकर सब कुछ रिकॉर्ड किया. माना जा रहा है कि पहलगाम में आतंकवादी हमला 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले की तर्ज पर किया गया था. इस आतंकवादी हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाना था. इस हमले के पीछे संभवतः पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का हाथ है.
खुफिया एजेंसियों ने इस हमले को अंजाम देने वाले 4 आतंकियों की एक साथ तस्वीरें जारी की है. इन तस्वीरों में सबसे दायीं ओर पाकिस्तानी सेना से रिटायर आसिफ फौजी भी शामिल है.
जांच से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "यह सिर्फ एक अलग-थलग आतंकी घटना नहीं है. हमलावरों को सीमा पार से निर्देशित, सुसज्जित किया गया था और उन्हें सपोर्ट दिया गया. उनका उद्देश्य क्षेत्र को अस्थिर करना और शांति को पटरी से उतारना है."
गृह मंत्रालय स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है. वरिष्ठ खुफिया और सैन्य अधिकारियों की अध्यक्षता में इस सप्ताह के अंत में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक होने की उम्मीद है.
यह घटना क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति में बदलाव का संकेत देती है. अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि सैन्य-ग्रेड हथियारों और एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों का उपयोग कश्मीर में हाइब्रिड युद्ध के एक नए चरण की ओर इशारा करता है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच की जिम्मेदारी संभालने की उम्मीद के साथ, हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में शामिल व्यापक नेटवर्क के बारे में अधिक विवरण सामने आने की संभावना है.
पाकिस्तान ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में क्या कहा?
बता दें कि पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. पाकिस्तान ने इस घटना से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से पाकिस्तान का कोई लिंक नहीं है. हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है. हम हर तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि पहलगाम की घटना से हमारा कोई ताल्लुक नहीं है.