इंदौर
साइबर ठगों ने इंदौर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के खाते से लाखों रुपये निकाल लिए। यह धोखाधड़ी तब सामने आई जब एडीजे का एक वाउचर बाउंस हो गया। न्यायालय के प्रबंधक ने साइबर हेल्पलाइन और अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस गंभीरता से जांच कर रही है। दो आरोपियों की पहचान कर ली है दोनों की भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध बनी हुई है। अब पुलिस आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है।
इंदौर जिला न्यायालय के खाते में साइबर ठगों की ऐसी सेंध से हड़कंप मच गया। उन्होंने थोड़े बहुत नहीं 64 लाख रुपये निकाले हैं। यह मामला तब खुला जब एक एडीजे (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) का वाउचर बाउंस हो गया। वाउचर बाउंस होने पर पता चला कि खाते में पर्याप्त पैसे नहीं हैं। इसके बाद धोखाधड़ी का पता चला। मैनेजर पुनीत तिवारी ने साइबर हेल्पलाइन और क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस को कुछ सुराग मिले हैं जिसके आधार पर गुजरात में भी छापेमारी की जा रही है। पुलिस ने दो आरोपियों की पहचान कर ली है। ये वे लोग हैं जिनके नाम पर सिम कार्ड जारी हुआ था।
वाउचर रुकने पर ठगी का खुलासा
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि मैनेजर पुनीत तिवारी ने 64 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने साहिल रंगरेज और उसके पिता साजिद अब्दुल सत्तार रंगरेज के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ये दोनों गुजरात के बलसाड़ के रहने वाले हैं। एडीसीपी के अनुसार, 17वें एडीजे जिला न्यायालय के नाम से एक खाता है। इस खाते में लाखों रुपये का लेनदेन होता रहता है। 11 जून को एडीजे ने 6 लाख 50 हजार रुपये का वाउचर जारी किया था। यह वाउचर एक अन्य शाखा के लिए था। लेकिन खाते में पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण वाउचर रोक दिया गया।
टीम जांच के लिए रवाना
एडीजे, जिला न्यायालय के कर्मचारी और बैंक अधिकारी यह देखकर हैरान रह गए। जांच करने पर पता चला कि 5 मार्च से 11 जून के बीच साइबर अपराधियों ने यूपीआई के माध्यम से पैसे निकाले हैं। प्रबंधक पुनीत तिवारी ने साइबर हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई। निरीक्षक माधवसिंह भदौरिया ने खाते की जानकारी मांगी। पता चला कि पैसे पेटीएम से निकाले गए हैं। पैसे एक अन्य एसबीआई के खाते में भेजे गए हैं। यह खाता साहिल और साजिद का है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर टीम को गुजरात रवाना कर दिया।