नई दिल्ली
देश में एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है और स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जा रही है। मई 2025 के अंत तक भारत में कोविड-19 के एक्टिव केस 1000 का आंकड़ा पार कर चुके हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और बिहार समेत कई राज्यों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिस पर केंद्र और राज्य सरकारों ने सतर्कता बढ़ा दी है।
सबसे ज्यादा केस कहां?
कोविड की इस नई लहर में केरल सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बनकर सामने आया है, जहां अब तक 430 से अधिक एक्टिव केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, दिल्ली में 100 से ज्यादा मरीज, महाराष्ट्र में 43 नए केस, और नोएडा में 8 संक्रमितों की पुष्टि हुई है। पटना में भी संक्रमण ने दस्तक दे दी है, जहां एक मरीज पटना एम्स का डॉक्टर है।
नोएडा और पटना में नए केस
नोएडा में सामने आए मामलों में से एक व्यक्ति की हाल की यात्रा चेन्नई से रही है, जो नए संक्रमण के प्रसार की आशंका को और गहरा करता है। वहीं बिहार की राजधानी पटना में दो नए केस दर्ज किए गए हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है।
कोरोना के नए वेरिएंट
भारत में इस समय 4 वेरिएंट्स की पुष्टि हो चुकी है:
XFG सीरीज
LF.7 सीरीज
JN.1 सीरीज
NB.1.8.1 सीरीज
इन वेरिएंट्स में से JN.1 तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है, जिसके लक्षणों में नाक बहना, गले में खराश, बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
एशिया में भी बढ़ता खतरा
भारत के साथ-साथ एशिया के कई देशों में कोरोना मामलों में तेजी देखी जा रही है। हांगकांग, सिंगापुर, थाईलैंड और चीन में रोज़ नए संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। सिंगापुर और हांगकांग में मौतों की संख्या में भी इजाफा दर्ज हुआ है।
कोरोना के दो वैरिएंट NB.1.8.1 and LF.7, जानें ये कितने खतरनाक?
पिछले सप्ताह में वायरस के कारण कम से कम सात मौतें हुई हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के डेटा के अनुसार इस समय देश में कोरोना वायरस के दो वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 भी पाए गए हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में ख्याल आ सकता है कि यह दोनों वैरिएंट कितने खतरनाक हैं. चलिए हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं. सबसे पहले आपको संक्षेप में इन मामलों के अपडेट बताते हैं.
INSACOG के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला पाया गया था, जबकि मई में गुजरात में LF.7 के चार मामले सामने आए थे.
अब तक, 22 अलग-अलग देशों के ग्लोबल जीनोम डेटाबेस में NB.1.8.1 वैरिएंट के 58 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और सिंगापुर शामिल हैं. अमेरिका में, कैलिफ़ोर्निया, वाशिंगटन, वर्जीनिया और न्यूयॉर्क जैसे राज्यों में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान इस वैरिएंट की पहचान की गई थी.
कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 वैरिएंट क्या हैं?
इसे जानने के लिए आपको पहले वैरिएंट का मतलब समझना होगा. दरअसल फैलने के लिए एक वायरस किसी होस्ट (इंसान या जानवर) को संक्रमित करता है, वह अपनी बहुत साली कॉपी बनाता है. जब कोई वायरस अपनी कॉपी बनाता है, तो वह हमेशा अपनी एक सटीक कॉपी तैयार करने में सक्षम नहीं होता है. इसका मतलब यह है कि, समय के साथ, वायरस अपने जीन सीक्वेंस (जिन कैसे लाइन में लगे हैं) में थोड़ा अलग होना शुरू कर सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान उस वायरस के जीन सीक्वेंस में किसी भी परिवर्तन को म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है, और इन नए म्यूटेशन (नए या अलग जीन सीक्वेंस वाले वायरस) वाले वायरस को ही वेरिएंट कहा जाता है. वेरिएंट एक या एक से अधिक म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं.
अब वापस आते हैं कोरोना वायरस के दो वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 पर. NB.1.8.1 और LF.7 दोनों कोरोना के JN.1 वैरिएंट में बदलाव होने से बने हैं आनी वे उप-वंशावली हैं. अभी भारत में सबसे अधिक फैलने वाला वैरिएंट JN.1 ही है. सभी मालूम चले कोरोना मामलों के सैंपल में 53% JN.1 वैरिएंट के ही हैं. इसके बाद BA.2 (26 प्रतिशत) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) का स्थान है.
भारत सरकार की तैयारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को विशेष गाइडलाइंस जारी की हैं। टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन पर ज़ोर देने की सिफारिश की गई है, ताकि संक्रमण को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सके।
क्या कहती हैं ताज़ा रिपोर्ट्स?
दिल्ली में बीते एक हफ्ते में 100+ नए केस सामने आए हैं।
महाराष्ट्र में अब तक कोविड से 5 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
केरल, कर्नाटक और मुंबई जैसे शहरों में रेड अलर्ट लागू कर दिया गया है।
कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 वैरिएंट कितने खतरनाक?
WHO के इन वैरिएंट को लेकर उनके जोखिम का जो शुरुआती मूल्यांकन किया है, उसके अनुसार, NB.1.8.1 वैरिएंट दुनिया भर में कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. फिर भी इसमें A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन है. यह दिखाता है कि यह अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैल सकता है और शरीर के इम्यून सिस्टम (रोगों से लड़ने की क्षमता) को मात दे सकता है.
शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि NB.1.8.1 और LF.7 के संक्रमण से सामान्य फ्लू या हल्के COVID-19 के समान लक्षण होते हैं. अधिकांश रोगी अस्पताल में एडमिट हुए बिना घर पर ही जल्दी ठीक हो जाते हैं. यह डेल्टा जैसे पहले के वेरिएंट के उल्टा है, जो अधिक गंभीर बीमारी और उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है, खासकर बिना टीकाकरण वाले लोगों में या उनमें जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है .
हांगकांग-ताइवान में मरीजों की भीड़…. कोरोना कहां-कहां बरपा रहा कहर?
भारत में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के 752 नए केस रिपोर्ट किए गए हैं. देश में कुल पॉजिटिव मामलों की तादाद 1,000 से ज्यादा हो गई है. केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली ऐसे राज्य हैं, जहां पिछले एक हफ्ते में सबसे ज्यादा नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं. इसके साथ ही विदेश में भी कोरोना के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं.
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, प्रमुख अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर आने वाले कई अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में एक नया कोविड वेरिएंट, NB.1.8.1 पाया गया है. CBS न्यूज़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि कोविड वेरिएंट चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में मामलों में बढ़ोतरी की वजह से बन रहा है.
अमेरिकी एयरपोर्ट्स पर नया कोविड वैरिएंट NB.1.8.1 मिला CDC के एयरपोर्ट टेस्टिंग पार्टनर जिन्कगो बायोवर्क्स के आंकड़ों के मुताबिक, कैलिफोर्निया, वाशिंगटन राज्य, वर्जीनिया और न्यूयॉर्क सिटी क्षेत्र के एयरपोर्ट्स पर पहुंचने वाले इंटरनेशनल यात्रियों में NB.1.8.1 वैरिएंट के मामलों की पहचान की गई है.
हांगकांग और ताइवान में स्वास्थ्य अधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती होने और इमरजेंसी रूम में जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी की जानकारी दी है, जिससे सार्वजनिक मास्क पहनने और टीकों और एंटीवायरल दवाओं के स्टोर की कोशिशें की जा रही हैं.
अमेरिका में नया कोविड वेरिएंट
मई 2025 तक, NB.1.8.1 नामक एक नया COVID-19 वैरिएंट, जो ओमिक्रॉन सबलाइनेज JN.1 से आया है. इसे एशिया भर में हाल ही में COVID-19 मामलों में बढ़ोतरी के लिए एक योगदान कारक के रूप में पहचाना गया है और इसे अमेरिका में भी पाया गया है. यह वेरिएंट सबसे पहले चीन में रिपोर्ट किया गया था, जो तेजी से बड़ा स्ट्रेन बन गया. सिंगापुर और हांगकांग सहित एशिया के अन्य इलाकों में भी इसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 को इसके बढ़ते वैश्विक प्रसार की वजह से SARS-CoV-2 वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग (VUM) के रूप में नामित किया है. यह वैरिएंट फिर से संयोजक वैरिएंट XDV.1.5.1 से लिया गया है, जिसका सबसे पहला सैंपल 22 जनवरी, 2025 को कलेक्ट किया गया था. इसे आधिकारिक तौर पर 23 मई, 2025 को VUM के रूप में वर्गीकृत किया गया था.
अमेरिका में मौतें
सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने कोरोनावायरस से हर हफ़्ते औसतन 350 अमेरिकी लोगों की मौत हुई है. एजेंसी ने कहा कि हताहतों की तादाद तो बहुत ज़्यादा है, लेकिन संक्रमण में कमी आ रही है.