नई दिल्ली
नई दिल्ली के तटरक्षक मुख्यालय में भारतीय तटरक्षक (ICG) की 42वीं कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हुई. यह तीन दिनों का आयोजन 28 से 30 सितंबर तक चलेगा. यह सालाना बड़ा मंच है, जहां ICG के वरिष्ठ अधिकारी रणनीति, संचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं. बदलते भू-राजनीतिक हालात और समुद्री सुरक्षा चुनौतियों के बीच यह कॉन्फ्रेंस बहुत महत्वपूर्ण है.
रक्षा मंत्री का संबोधन: हिंद महासागर का महत्व
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने डायरेक्टर जनरल परमेश शिवमणि और अन्य वरिष्ठ कमांडरों से बात की. अपने मुख्य भाषण में उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की बढ़ती रणनीतिक अहमियत बताई. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार, ऊर्जा प्रवाह और भू-राजनीतिक गतिविधियों का मुख्य गलियारा है.
रक्षा मंत्री ने 1977 में स्थापना से ICG के विकास की सराहना की. आज ICG के पास 152 जहाज और 78 विमान हैं. उनका मोटो 'वयं रक्षाम:' यानी 'हम रक्षा करते हैं' है. उन्होंने ICG की निष्ठा और तटीय सुरक्षा में योगदान की तारीफ की. लेयर्ड समुद्री गश्त और कोस्टल सर्विलांस नेटवर्क (CSN) से तट रक्षा मजबूत हुई है.
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर सफलता: विदेशी जहाजों पर कार्रवाई
रक्षा मंत्री ने विदेशी मछली पकड़ने की घुसपैठ रोकने में ICG की सफलता बताई. लगातार गश्त और सख्त चेकिंग से शुरू से अब तक 1,638 विदेशी जहाज पकड़े गए. 13775 विदेशी मछुआरों को भारतीय जलक्षेत्र में गैरकानूनी काम के लिए गिरफ्तार किया. यह समुद्री कानून प्रवर्तन की मिसाल है.
नशीले पदार्थों की जब्ती: 37,833 करोड़ का सामान
रक्षा मंत्री ने समुद्री कानून प्रवर्तन में ICG के कमाल की तारीफ की. अब तक 6,430 किलोग्राम से ज्यादा नशीले पदार्थ जब्त हुए, जिनकी कीमत 37,833 करोड़ रुपये है. यह आंकड़े सीमा पार समुद्री अपराधों के खिलाफ ICG की बढ़ती ताकत दिखाते हैं.
सर्च एंड रेस्क्यू: समुद्र की पुकार का जवाब
रक्षा मंत्री ने सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) ऑपरेशंस में ICG की भूमिका पर जोर दिया. उनका वादा है कि समुद्र से कोई पुकार अनसुनी नहीं रहेगी. इस साल जुलाई तक 76 SAR मिशन चलाए, 74 जानें बचाईं. कुल मिलाकर 14500 से ज्यादा लोगों को आपदा राहत में बचाया.
उन्होंने MV वान हाई 503 अग्निकांड और MV MSC ELSA-3 डूबने जैसे जोखिम भरे हादसों में ICG की तेज कार्रवाई की सराहना की. यह संचालन क्षमता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है.
भारत की समुद्री शक्ति: गैर-पारंपरिक खतरों से लड़ाई
रक्षा मंत्री ने भारत को प्रमुख समुद्री शक्ति बताते हुए ICG की बढ़ती भूमिका पर जोर दिया. आतंकवाद, गैरकानूनी मछली पकड़ना, तस्करी और समुद्री प्रदूषण जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से लड़ना जरूरी है. CSN से रीयल-टाइम क्षमता बढ़ी है.
डीजी का उद्घाटन: हाल की प्रगति और भविष्य की योजना
डीजी परमेश शिवमणि ने कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. उन्होंने ICG की हाल की प्रगति, चुनौतियों और रणनीतिक दृष्टि पर पेश किया. तीन दिनों में नौसेना प्रमुख और इंजीनियर-इन-चीफ जैसे हितधारकों के साथ चर्चा होगी.
फोकस: सेवाओं के बीच तालमेल, समुद्री क्षेत्र जागरूकता और संचालन एकीकरण.
चर्चा के विषय: संचालन प्रदर्शन, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन विकास, ट्रेनिंग और प्रशासन. राष्ट्रीय समुद्री प्राथमिकताओं के साथ क्षमताओं को जोड़ना और समुद्री क्षेत्र में भारत की मौजूदगी बढ़ाना.
स्वदेशीकरण पर जोर: आत्मनिर्भर भारत
स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता मुख्य फोकस हैं. मेक इन इंडिया के तहत प्रगति की समीक्षा होगी. ICG का स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स और तकनीकों पर निर्भरता आत्मनिर्भर भारत का प्रमाण है.
निष्कर्ष: समुद्री सीमाओं की रक्षा का संकल्प
42वीं कमांडर्स कॉन्फ्रेंस ICG के वादे को दोहराती है – भारत की विशाल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा. यह क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा प्रदाता के रूप में ICG की विश्वसनीय, संवेदनशील और लचीली भूमिका को मजबूत करेगी. ICG की मेहनत से भारत की समुद्री ताकत बढ़ेगी.