भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो को जल्द से जल्द दौड़ाए जाने की कवायद तेज हो गई हैं। आम यात्रियों के लिए कमर्शियल ट्रेवलिंग शुरू करने के लिए कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी (सीएमआरएस) की टीम ने खुद यात्रा करके सुरक्षा मानकों की जांच की। सीएमआरएस कमिश्नर जनक कुमार गर्ग सुभाषनगर स्थित मेट्रो डिपो पहुंचें।
सीएमआरएस कमिश्नर ने टीम के साथ यहां पर करीब 3 घंटे तक निरीक्षण किया और मेट्रो में सवार हुए। उनके साथ मेट्रो एमडी एस कृष्ण चैतन्य भी मौजूद रहे। इस दौरान गर्ग ने प्राथमिकता में शामिल कॉरिडोर के 6.22 किलोमीटर रूट तक सफर किया। यह रूट सुभाष नगर से एम्स तक का है। इस निरीक्षण के दौरान वे और उनकी टीम सुभाषनगर स्टेशन पर करीब 30 मिनट और एम्स स्टेशन पर सवा घंटे रुकी।
क्या हैं सीएमआरएस
दरअसल, किसी भी रेल लाइन या मेट्रो रेल को आम लोगों के लिए प्रारंभ करने से पूर्व सीएमआरएस की जांच आवश्यक होती है। इस टीम की जांच में 'हरी झंडी' मिलने के बाद आम लोगों के लिए मेट्रो दौड़ना यानी कमर्शियल सफर की शुरुआत होती है। इस जांच टीम के अफसर ट्रैक के नट-बोल्ट, सिग्नल, इंट्री-एग्जिट गेट, डिपो सहित सुरक्षा के लिहाज से हर पक्ष की बारीकी से जांच की जाती है। टीम के लौटने के बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर ही भोपाल में मेट्रो रन प्रारंभ होगा।
पीएम मोदी दिखा सकते हैं हरी झंडी
बताया जा रहा है कि इस महीने के अंत तक सीएमआरएस की 'ओके' रिपोर्ट मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे। पूरी संभावना है कि वे भोपाल मेट्रो में सफर भी करें। आपको बता दें कि 31 मई को मोदी ने इंदौर मेट्रो को भोपाल से हरी झंडी दिखाई थी।
- सीएमआरएस की टीम ने 90 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाई
- अचानक ब्रेक लगाकर की सुरक्षा जांच, कंट्रोल रूम का रिस्पांस जांचा
- मेट्रो मेन लाइन, स्टेशन का निरीक्षण बाकी, सप्ताहभर बाद फिर जांच
2010 का सपना होगा साकार
मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त जनक कुमार गर्ग के नेतृत्व में टीम ने सुभाष नगर से एम्स तक मेट्रो को 90 किमी प्रतिघंटे की फुल स्पीड में दौड़ाया। सीएमआरएस सर्टिफिकेट मिलते ही मेट्रो यात्रियों को लेकर दौडने को तैयार हो जाएगी। 2010 से ही शहरवासियों को मेट्रो में सवारी का दिखाया जा रहा सपना अब पूरा होने को है। निरीक्षण के बाद टीम शाम को रवाना हो गई। अभी मेन लाइन, स्टेशन की जांच बोटगी। टीम ने अत्याधुनिक ट्रेन सेट। सिस्टम के अलावा नट बोल्ट, स्टेशन, सिग्नल आदि की जांच की।
मेट्रो के दूसरे फेस में भी काम तेज
भोपाल मेट्रो का उद्देश्य यात्रियों के सफर को आसान बनाना है। साथ ही शहर को एक आधुनिक, कुशल शहरी केंद्र के रूप में आकार देना है। भोपाल मेट्रो के पहले चरण का काम पूरा होने के बाद दूसरे चरण को लेकर काम तेजी से चल रहा है। इसका दूसरा चरण भदभदा चौराहे से रत्नागिरी चौराहे तक लगभग 15 किमी लंबा होगा। इसमें 14 एलिवेटेड स्टेशन बनाए जाएंगे। इस पर भी तेजी से काम चल रहा है।
सितंबर में सीएमआरएस का निरीक्षण
गुरुवार को सीएमआरएस की टीम ने तीन कोच वाली मेट्रो ट्रेन यानी रोलिंग स्टॉक में यात्री सुरक्षा, सुविधा और ऊर्जा दक्षता की जांच की। इसमें सीसीटीवी की निगरानी, आरामदायक बैठने की व्यवस्था, वातानुकूलित कोच, चार्जिग पॉइंट और वास्तविक समय यात्री सूचना प्रणाली की सुविधा को जांचा गया। इनकी टेस्टिंग की गयी।
तीन माह में दो बड़ी जांच
जुलाई में आयी थी आरडीएसओ की टीम 9 जुलाई से 21 जुलाई तक 13 दिन मेट्रो ट्रेन के ऑसिलेशन और इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस का लखनऊ की रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन यानी आरडीएसओ ने परीक्षण किया था। टीम ने 90 किमी प्रतिघंटा पर ट्रेन दौड़ाई थी। इमरजेंसी ब्रेक लगाया हर स्टेशन, ट्रैक के बीच मेट्रों के ऑसिलेशन यानि कंपन को मापा गया था। उस समय परीक्षण में मेट्रो की राइड क्वालिटी, स्थिरता, इमरजेंसी ब्रेकिंग डिस्टेंस, और सम्पूर्ण रोलिंग स्टॉक का मूल्यांकन रिकॉर्ड किया गया था। परीक्षण से रोलिंग स्टॉक यानी ट्रेन की सुरक्षा. विश्वसनीयता और दक्षता के उच्चतम मानकों की स्थिति पता चलती है।
तकनीकी सवाल-जवाब भी हुए
सीएमआरएस टीम ने मेट्रो के वरिष्ठ अधिकारियों और इंजीनियर्स से मेट्रो ऑपरेशन के तकनीकी पक्षों से जुड़े सवाल जवाब किए। सुरक्षा प्रोटोकॉल क्या होता है? स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स, रोलिंग स्टॉक की तैयारियों के साथ ही ऑपरेशन के लिए डिपो के सिस्टम से जुड़े सवाल जवाब किए गए। इसका बकायदा प्रजेंटेशन भी लिया गया। इस अवसर पर एमडी मेट्रो एस कृष्ण चैतन्य, निदेशक सिस्टम अरुण कुमार श्रीवास्तव, निदेशक प्रोजेक्ट अजय गुप्ता व अन्य टीम सदस्य उपस्थित रहे।
ऑपरेशन कंट्रोल को परखा
सुभाष नगर डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर को देखा गया। ट्रेन संचालन, विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा प्रणालियों की केंद्रीकृत निगरानी. डिपो में मेंटेनेंस बे, स्टेबलिंग लाइन, रिपेयर बे के साथ आग लगने की स्थितियों की पहचान कर अग्निशमन सहित अन्य सुरक्षा प्रणालियों को परखा गया।
तेज रफ्तार में ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम की जांच
सीएमआरएस ने डिपो में मेट्रो के रैक की जांच करने के दौरान ड्राइवर से इसे एम्स तक ले चलने का कहा। मेट्रो ट्रेन डिपो से सुभाष नगर स्टेशन पहुंची और 90 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ाने का आदेश दिया। तेज रफ्तार ट्रेन देखकर आंबेडकर ब्रिज से गुजरने वाले रूककर देखने लगे। ट्रेन तेज गति से दौड़ी और फिर अचानक रूक गयी। कभी मध्यम गति में चली। दोपहर करीब साढ़े बारह बजे से एक घंटे तक पांच रैक को इसी तरह दौड़ाया गया। ऐसा रैक की गति और इसके ब्रेकिंग सिस्टम की जांच के लिए किया की टीम ने भी इसी तरह ब्रेकिंग सिस्टम की जांच की थी। मेट्रो के अंदर से ही सीएमआरएस जनक कुमार ने वहां दर्ज आपातकालीन नंबर पर कॉल किया। कंट्रोल रूम में इसे किसी तरह अटेंड किया जाता है। कॉल लगता भी है या नहीं इसे देखा।