भोपाल
भोपाल में मौसम अचानक करवट बदल रहा है। कभी तेज बारिश, कभी कड़ी धूप और फिर उमस। इस वजह से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। एम्स, हमीदिया और जेपी अस्पताल की ओपीडी में बीते दो दिन में ही 20 हजार से ज्यादा मरीज पहुंचे। यह संख्या पिछले हफ्ते की तुलना में करीब चार हजार ज्यादा है। सबसे ज्यादा असर बच्चों पर दिख रहा है।
जेपी अस्पताल की बाल रोग ओपीडी में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। सामान्य दिनों में जहां 60 बच्चे आते थे, अब यह संख्या 170 तक पहुंच गई है। इनमें ज्यादातर बच्चे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से पीड़ित हैं। करीब सात से आठ प्रतिशत बच्चों को गंभीर हालत में भर्ती करना पड़ रहा है। इनमें सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों का इंफेक्शन देखने को मिल रहा है।
आरएसवी वायरस बना चिंता की वजह
डॉक्टरों के मुताबिक, इस समय रेस्पीरेट्री सिंसेशियल वायरस (आरएसवी) बच्चों में ज्यादा एक्टिव है। यह वायरस सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण देता है, लेकिन छोटे बच्चों में यह न्यूमोनिया और ब्रोंक्योलाइटिस का कारण बन सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर साल दुनियाभर में करीब 30 लाख बच्चे आरएसवी से प्रभावित होते हैं।
हालांकि, यह वायरस बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्ग और दिल या अस्थमा के मरीज भी इसके शिकार हो सकते हैं। दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन के कारण टाइफाइड और उल्टी-दस्त के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
डॉक्टरों ने बचाव के तरीके बताए
जेपी अस्पताल के डॉ. पियूष पंचरत्न का कहना है कि कई परिजन मेडिकल स्टोर से मनमर्जी की दवाएं देकर बच्चों का इलाज करने की कोशिश करते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है। बच्चों को केवल पैरासिटामाल दी जा सकती है, लेकिन लक्षण बने रहें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार ह्यूमन राइनोवायरस और ई-कोलाई बैक्टीरिया भी सक्रिय हैं, जो वयस्क मरीजों को प्रभावित कर रहे हैं। ज्यादातर मरीज एक से दो हफ्ते में सामान्य दवाओं से ठीक हो जाते हैं। लेकिन मरीजों को सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
यह लक्षण दिखने पर सतर्क रहें
गले में खराश, तेज सर्दी, लगातार खांसी, बुखार, पेट दर्द या थकान जैसे लक्षण दिखें तो लापरवाही न करें और तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
ये उपाय करना जरूरी
हमेशा उबला या शुद्ध पानी पिएं।
ठंडी और बासी चीजों से बचें।
बच्चों को अन्य बीमार बच्चों से दूर रखें और बीमारी की स्थिति में स्कूल न भेजें।
गले में खराश हो तो गुनगुने पानी से गरारे करें।
मास्क का इस्तेमाल करें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
क्यों बढ़ रहीं बीमारियां
लगातार बदलता मौसम
धूल और गंदगी से फैलता संक्रमण
लोगों द्वारा लापरवाही और सावधानी न बरतना इसका प्रमुख कारण है।
बदलते मौसम का दिख रहा असर
मौसम बदलते ही मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि हर मरीज को पर्याप्त समय दें और उन्हें विस्तार से समझाएं कि बीमारी से कैसे बचा जा सकता है। – डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल