लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का आधिकारिक फेसबुक अकाउंट सस्पेंड हो गया है। इसके बाद राजनीतिक बवाल मचा गया। सपा ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है, तो वहीं शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा है कि उनके फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करने के पीछे सरकार का कोई हाथ नहीं है। यह कार्रवाई दिशा-निर्देशों के अनुसार की गई है। वे दिशा-निर्देश जो देश के कानून के मुताबिक प्रत्येक नागरिक पर लागू होते हैं।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि उनके अकाउंट पर एक पोस्ट थी जो सामुदायिक दिशा-निर्देशों के विरुद्ध थी और फेसबुक ने नियमों के मुताबिक कार्रवाई की है। अखिलेश के फेसबुक अकाउंट में पर 80 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे, जो एक्सेसिबल नहीं है। सपा ने इसको बीजेपी का विपक्षी आवाज दबाने का प्रयास बताया है। पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन ने एक्स पर लिखा- देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करना लोकतंत्र पर हमला है। बीजेपी ने अघोषित इमरजेंसी लगा दी है। हालांकि, सपा विधायक पूजा शुक्ला ने कहा कि फेसबुक ने बिना चेतावनी के अकाउंट बंद किया। यह लाखों की आवाज को दबाने की साजिश है।
सपा का आरोप है कि यह सस्पेंशन बीजेपी के इशारे पर किया गया। पार्टी ने कहा कि अखिलेश ने हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती की बीजेपी की तारीफ पर सवाल उठाए थे, जिससे ‘आंतरिक सांठगांठ’ का दावा किया। इससे पहले सपा ने चुनाव आयोग पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया था। अकाउंट सस्पेंड होने से सपा कार्यकर्ताओं में गुस्सा है। पार्टी ने फेसबुक से तुरंत बहाली की मांग की और कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।
सरकारी सूत्रों ने सपा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है। सस्पेंशन फेसबुक के कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करने वाले एक पोस्ट के कारण हुआ। यह इंटरमीडियरी गाइडलाइंस के तहत कार्रवाई है, जो हर नागरिक पर लागू होती है। सरकार ने कोई दखल नहीं दिय। सूत्र ने कहा कि फेसबुक ने अभी आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सपा का दावा है कि बिना चेतावनी के अकाउंट बंद किया गया है।