आज़मगढ़
दिनांक 19 सितम्बर, 2025 को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में रविंद्र कुमार, आई0ए0एस0, जिलाधिकारी, आज़मगढ़ द्वारा 100वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारी प्रशिक्षुओं को एक ज्ञानवर्धक सत्र प्रदान किया गया।
कुमार द्वारा फाउंडेशन कोर्स के अंतर्गत अधिकारी प्रशिक्षुओं को पर्वतारोहण एवं ट्रेकिंग से सम्बन्धित साहसिक गतिविधियों पर एक विशेष प्रशिक्षण सत्र प्रदान किया गया। इस सत्र के दौरान कुमार ने पीपीटी एवं व्याख्यान के माध्यम से प्रशिक्षुओं को न केवल पर्वतीय गतिविधियों की तकनीकी जानकारी दी, ताकि प्रशिक्षु अधिकारियों को दिये गये स्किल से भविष्य में पर्वतीय या आपदा-प्रवण क्षेत्रों अपनी फील्ड पोस्टिंग के दौरान आपदा प्रबन्धन में राहत एवं बचाव कार्यों में मदद मिल सके और जिससे आम लोगों की जान-माल की सुरक्षा हो सके। कुमार द्वारा पूर्व में भी कई बार पर्वतारोहण के विषय पर ट्रेकिंग से सम्बन्धित साहसिक गतिविधियों पर प्रशिक्षण सत्र प्रदान किया है।
रविन्द्र कुमार 2011 बैच के आई0ए0एस0 अधिकारी हैं। लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रथम फेज की टेªनिंग के बाद सिक्किम में परीवीक्षा प्रशिक्षण के तहत तैनात थे। सिक्किम में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग के दौरान वर्ष 2012 में एच0एम0आई0 दार्जीलिंग से बेसिक माउंटेनियरिंग प्रशिक्षण कोर्स एवं एडवांस माउंटेनियरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अलावा कुमार ने सिक्किम के पर्वतीय क्षेत्रों में लम्बी-लम्बी ट्रेकिंग की एवं पर्वतारोहण का अभ्यास किया। रविन्द्र कुमार द्वारा वर्ष 2013 में नेपाल रूट से एवरेस्ट अभियान प्रारम्भ किया। 10 दिन की ट्रैकिंग के बाद बेस कैम्प पहुँचे। वहाँ पहुँचने पर लगभग 2 सप्ताह तक अनुकूलन (Acclimatisation) हेतु अभ्यास किया, तत्पश्चात अनुकूल मौसम मिलने पर शिखर की ओर बढ़ना शुरू किया। अंतिम चढ़ाई के दौरान Death Zone में ऑक्सीजन मास्क का प्रयोग किया क्योंकि एवरेस्ट की ऊँचाई पर केवल एक-तिहाई ऑक्सीजन मिलती है। इस वर्ष कुल 9 पर्वतारोहियों की मृत्यु हुई, जिनमें से दो पर्वतारोहियों से कुमार की पहले बेस कैम्प में मुलाकात भी हुई थी। उन्हें उन पर्वतारोही की मौत पर गहरा दुःख हुआ। अंततः रविन्द्र कुमार ने 19 मई 2013 को शिखर पर पहुँचकर भारतीय तिरंगा लहराया।
जून 2013 में एवरेस्ट से लौटने के बाद सिक्किम के विभिन्न जिलो में एस0डी0एम0 एवं ए0डी0एम0 के रूप में तैनाती रही, जहाँ वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव भी करवाया। तत्पश्चात माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 02 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारम्भ किया, तब रविन्द्र कुमार ने तय किया कि स्वच्छ भारत मिशन के बारे में लोगों को जागरूक करने हेतु दूसरी बार एवरेस्ट की चढ़ाई की जाये।
वर्ष 2015 में 5 सिविल सेवकों की एक टीम बनाई गई। जिसे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 27 मार्च 2015 को ‘स्वच्छ भारत अभियान‘ के तहत हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया। कुमार द्वारा टीम का नेतृत्व करते हुए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश के लोगों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से नेपाल (दक्षिण) मार्ग से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया गया, परन्तु 25 अप्रैल, 2015 को आए विनाशकारी भूकंप के कारण उनका प्रयास विफल हो गया। नेपाल में भूकंप आने से एवरेस्ट पर हिमस्खलन (Avalanche) हुआ। इस भीषण भूकंप ने एवरेस्ट अभियान को गहरा झटका दिया। अभियान के दौरान अचानक आए हिमस्खलन से बेस कैम्प बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई टेंट नष्ट हो गए, कई पर्वतारोही घायल हुए और कई लोगो ने अपनी जान गवांई। नेपाल सरकार ने सभी अभियानों को रद्द कर दिया। कुमार ने साहस और मानवता का परिचय देते हुए घायल पर्वतारोहियों एवं शेरपाओं को अस्थायी अस्पताल तक पहुँचाने में मदद की। इस मानवीय कार्य एवं सेवा भावना को देखते हुए रविन्द्र कुमार को हिमालयन रेस्क्यू एसोसिएशन, नेपाल ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। यह अभियान भले ही अधूरा रहा हो, लेकिन मानवता और सेवा के मूल्यों ने इसे अविस्मरणीय बना दिया।
वर्ष 2019 में जल संरक्षण हेतु जागरूक करने के उद्देश्य ‘स्वच्छ गंगा स्वच्छ भारत एवरेस्ट अभियान’ केे तहत रविन्द्र कुमार गंगा जल लेकर द्वारा उत्तरी मार्ग (चीन) से दिनांक 23 मई 2019 को विश्व की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट पर पुनः पहुँचे। कुमार द्वारा एवरेस्ट शिखर पर तिरंगा लहराया एवं गंगाजल अर्पित करते हुए समस्त देशवासियों से जल बचाओ की अपील की। कुमार द्वारा एवरेस्ट शिखर पर नमामि गंगे, स्वच्छ भारत मिशन एवं उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो (प्रतीक चिन्ह्) भी ले जाया गया। इस वर्ष 11 पर्वतारोहियों की मृत्यु हुई, जिनमें से कुछ साथी अभियान के दौरान मिले भी थे। चढ़ाई के दौरान कई पुरानी मृत देहें भी दिखीं, जो अत्यधिक ठंड के कारण दशकों बाद भी सुरक्षित पड़ी थीं। यह अभियान दृढ़ निश्चय, अनुशासन और भारत की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति श्रद्धा का प्रतीक रहा।
रविन्द्र कुमार भारत के पहले और एकमात्र सिविल सेवक हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर दो बार अलग-अलग रास्तों से चढ़ाई की है, एक बार 2013 में दक्षिण (नेपाल) मार्ग से और 2019 में उत्तर (चीन) मार्ग से। वे उन 15 भारतीयों में से एक हैं, जिन्होंने नेपाल और चीन दोनों मार्गों से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है।
कुमार ने माउंट एवरेस्ट के अलावा, उन्होंने 2014 में टिंगचेनखांग पीक (पश्चिम सिक्किम), 2015 में बीसी रॉय पीक (पश्चिम सिक्किम), जनवरी 2019 में तांगलांग-ला पीक (लेह) और मार्च 2019 में रेनोक पीक (पश्चिम सिक्किम) जैसी अन्य चोटियों पर भी चढ़ाई की है।
रविन्द्र कुमार वर्तमान में जिलाधिकारी आज़मगढ़ के पद पर तैनात हैं। वर्ष 2011 बैच के रविन्द्र कुमार ने सिक्किम में नियुक्ति के दौरान एस0डी0एम0 तथा ए0डी0एम0 के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया है। मई, 2016 में उत्तर प्रदेश कैडर में ट्रांसफर होने के बाद मुख्य विकास अधिकारी, सीतापुर के पद पर रहे, जहां 2017 विधानसभा चुनाव सकुशल सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। तत्पश्चात जिलाधिकारी, फर्रूखाबाद के पद पर स्थानान्तरित हुए। उसके बाद डेढ़ साल तक वर्ष 2019 में जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार में मा0 कैबिनेट मंत्री सु उमा भारती जी के निजी सचिव के रूप में कार्य किया, जिस दौरान दूसरी बार एवरेस्ट की सफलतम चढ़ाई की।
एवरेस्ट से लौटने पर जिलाधिकारी, बुलन्दशहर के रूप में अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जहां ‘नागरिक संशोधन विधेयक’ एवं ‘कोविड’ के दौरान बहुत ही साहसिक एवं निडर भाव से सराहनीय कार्य किया।
वर्ष 2021 में जिलाधिकारी, झाँसी के पद पर स्थानान्तरित हुए जहां पर जल संरक्षण हेतु सरकार द्वारा चलाये गये कार्यक्रमों में विशेष अभिरूचि लेकर कार्य किया। उन्होनंे औद्योगिक विकास, रोज़गार सृजन एवं आर्थिक गतिविधियों के विकास हेतु नोएडा की तर्ज पर एक औद्योगिक परिक्षेत्र ‘बुन्देखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकारी, झाँसी (बीडा)’’ के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमें हरित उद्योगों, उच्च स्तरीय निवेश और विश्व स्तरीय पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने के साथ-साथ रोज़गार के नए अवसर पैदा करना मुख्य उद्देश्य है।
रविन्द्र कुमार वर्ष 2023 में जिलाधिकारी, बरेली के पद पर आसीन हुए तथा जनपद में शांति एवं कानून व्यवस्था में काफी सुधार होने के साथ-साथ जनपद बरेली शिक्षा के क्षेत्र में 100 प्रतिशत स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस वाला प्रदेश का पहला जिला बना। जनपद-बरेली के सभी 2483 स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस स्थापित की गई है। जनपद बरेली में उनका विज़न सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार पर केन्द्रित था। उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक कुशल, पारदर्शी और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से ‘अन्नपूर्णा मॉडल शॉप्स‘ नामक अभिनव मॉडल को नया नेतृत्व दिया। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के नेतृत्व में जनपद-बरेली को प्रधानमंत्री पुरस्कार 2024 हेतु ‘‘जिलों के समग्र विकास’’ कैटेगरी में short listed जिले में चुना गया, जिसका हाल ही में 11-12 सितम्बर, 2025 को प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन, पटना-बिहार में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में तत्कालीन जिलाधिकारी, बरेली रविन्द्र कुमार द्वारा ‘‘जन-भागीदारी से विकास की नई उड़ान’’ पी0पी0टी0 प्रेजे़न्टेशन के माध्यम से बरेली के समग्र विकास को प्रस्तुत किया है।
कुमार जनपद बरेली से अप्रैल, 2025 में जिलाधिकारी, आज़मगढ़ के पद पर तैनात हुए। जहां उन्होंने पर्यावरण संरक्षण एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान के एक सशक्त मिशन का नेतृत्व करते हुए ‘तमसा नदी’ का पुनरोद्धार किया। जो नदी कभी पवित्र और जीवनदायिनी थी, वह समय के साथ एक उपेक्षित धारा में बदल गई-गाद से भरी, खरपतवारों से भरी, और प्लास्टिक व कचरे से अटी पड़ी। पारिस्थितिक क्षरण और एक आध्यात्मिक धरोहर के लुप्त होने को देखते हुए, कुमार ने 2025 के मध्य में एक महीने का पुनरुद्धार अभियान शुरू किया, जो जल्द ही एक प्रशासनिक कार्य से समुदाय-संचालित आंदोलन में बदल गया।
उन्होंने विभिन्न मार्गों से एवरेस्ट तक की अपनी यात्रा पर आधारित 3 प्रेरक पुस्तकें लिखी हैं। ‘मेनी एवरेस्ट्स- ट्रांसफार्मिंग ड्रीम्स इन टू रियलिटी’ और ‘एवरेस्ट – सपनों की उड़ान: सिफर से शिखर तक’ नामक पुस्तकों में नेपाल मार्ग से उनकी एवरेस्ट यात्रा का वर्णन है। तीसरी पुस्तक ‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’ में चीन मार्ग से एवरेस्ट की उनकी यात्रा का वर्णन है। ‘माउंट एवरेस्ट- एक्सपीरियंस द जर्नी’ नामक एक फोटोग्राफिक यात्रा वृत्तांत भी है, जिसमें सिक्किम, लद्दाख, नेपाल और चीन में हिमालय की सुंदरता को शानदार तस्वीरों और संक्षिप्त विवरणों के माध्यम से दर्शाया गया है।
एवरेस्ट की उनकी यात्रा पर ‘शिखर से पुकार’, ‘गंगा का लाल’ और ‘उड़ान सपनों की’ नामक तीन लघु वृत्तचित्र फ़िल्में यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।