स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाएगी मध्यप्रदेश सरकार
स्वयं सहायता समूह की 16 हजार से अधिक महिलाओं ने बगिया लगाने का पंजीयन
भोपाल
स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रदेश सरकार आर्थिक रूप से समृद्ध बनाएगी। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्रदेश में "एक बगिया मां के नाम" परियोजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत स्वसहायता समूह की महिलाओं की निजी भूमि पर फलोद्यान की बगिया विकसित की जाएगी। अब तक स्वयं सहायता समूह की 16 हजार 752 से अधिक महिलाओं ने परियोजना का लाभ पाने के लिए पंजीयन कराया है। पंजीयन "एक बगिया मां के नाम" ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जल कुंड बनाने के लिए राशि प्रदान की जाएगी।
इलेक्ट्रानिक डवलपमेंट कार्पोरेशन ने किया ऐप का निर्माण
"एक बगिया मां के नाम" परियोजना का लाभ लेने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का चयन एक बगिया मां के नाम ऐप से किया जा रहा है। ऐप का निर्माण मनरेगा परिषद द्वारा MPSEDC के माध्यम से कराया गया है। हितग्राही का चयन ऐप के माध्यम से किया जाएगा। चयनित महिला हितग्राही के नाम पर भूमि नहीं होने की दशा में उस महिला के पति-पिता-ससुर-पुत्र की भूमि पर उनकी सहमति के आधार पर पौधरोपण किया जाएगा।
पहली बार अत्याधुनिक तकनीक से होगा पौधरोपण
प्रदेश में पहली बार अत्याधुनिक तरीके पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से पौधरोपण के लिए जमीन का चयन वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से किया गया है। जमीन चिन्हित होने के बाद सॉफ्टवेयर की मदद से ही भूमि का परीक्षण किया गया है। जलवायु के साथ ही किस जमीन पर कौन सा फलदार पौधा उपयोगी है, पौधा कब और किस समय लगाया जाएगा, पौधों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी कहा पर उपलब्ध है, यह सब वैज्ञानिक पद्धति (सिपरी सॉफ्टवेयर) के माध्यम से पता लगाया जा रहा है। साथ ही, जमीन के उपयोगी नहीं पाए जाने पर पौधरोपण का कार्य नहीं होगा। पौधरोपण का कार्य बेहतर ढंग से हो इसके लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
31 हजार 300 महिलाओं को मिलेगा लाभ
“एक बगिया माँ के नाम’’ परियोजना अंतर्गत प्रदेश की 31 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह की महिलाओं को लाभ मिलेगा। इनकी निजी जमीन पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाएं जाएंगे, जो समूह की महिलाओं की आर्थिक समृद्धि का आधार बनेंगे।
हर ब्लॉक में 100 हितग्राहियों का किया जाएगा चयन
"एक बगिया मां के नाम" परियोजना अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में न्यूनतम 100 हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। चयनित हुई समूह की पात्र महिलाओं को बकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण महिलाओं को वर्ष में दो बार दिया जाएगा।
न्यूनतम 0.5, अधिकतम 1 एकड़ जमीन होगी अनिवार्य
"एक बगिया मां के नाम" परियोजना का लाभ लेने के लिए चयनित हुई समूह की महिला के पास बगिया लगाने के लिए भूमि भी निर्धारित की गई है। चयनित महिला के पास न्यूनतम 0.5 या अधिकतम एक एकड़ जमीन होना अनिवार्य है।
प्रति 25 एकड़ पर एक कृषि सखी की होगी तैनाती
फलोद्यान की बगिया लगाने के लिए चयनित हितग्राहियों की सहायता के लिए कृषि सखी की तैनाती की जाएगी। कृषि सखी हितग्राहियों को खाद, पानी, कीटों की रोकथाम, जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तैयार कराने और अंतरवर्तीय फसलों की खेती के बारे में जानकारी प्रदान करेंगी।
ड्रोन-सैटेलाइट इमेज और डैशबोर्ड से निगरानी
पौधरोपण का कार्य सही ढंग से हो रहा है या नहीं, पौधे कहा लगे हैं, कहा नहीं लगे हैं, इसकी ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से बकायदा निगरानी भी की जाएगी। साथ ही पर्यवेक्षण के लिए अलग से एक डैशबोर्ड भी बनाया गया है। प्रदर्शन के आधार पर प्रथम 3 जिले, 10 जनपद पंचायत एवं 25 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
हितग्राहियों के चयन में टॉप 10 जिले
"एक बगिया मां के नाम" परियोजना के लिए हितग्राहियों के चयन में 6 अगस्त की स्थिति में 10 जिले अग्रणी हैं। इनमें देवास,खंडवा, बैतूल, सिंगरौली, शिवपुरी, झाबुआ, रायसेन, अशोकनगर, धार, विदिशा जिला शामिल है।
जल्द पूरी कर ली जायेगी महिला हितग्राहियों के चयन की प्रक्रिया
एसआरएलएम सीईओ एवं प्रभारी आयुक्त मनरेगा श्रीमती हर्षिका सिंह ने बताया कि "एक बगिया मां के नाम" परियोजना अन्तर्गत पात्र महिला हितग्राहियों का चयन किया जा रहा है। अब तक 16 हजार से अधिक महिला हितग्राहियों का चयन एक बगिया मां के नाम ऐप से किया जा चुका है। जल्द ही हितग्राहियों के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी। 15 अगस्त से पौधे लगाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।