रांची
बिहार चुनाव खत्म होते ही झारखंड फोकस में आ गया है. झारखंड की राजनीति में हलचल बढ़ गई है. हेमंत सोरेन और भाजपा के गठबंधन की अटकलें तेज हैं. पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पत्नी कल्पना सोरेन संग दिल्ली दौरा और उसके ठीक बाद राज्यपाल का अमित शाह से मिलना… ये महज संयोग नहीं दिख रहे हैं. सियासत में टाइमिंग का अपना महत्व होता है. यही कारण है कि रांची की गलियों से लेकर दिल्ली की सड़कों तक सियासी गलियारों में जेएमएम-एनडीए गठबंधन की अटकलों का बाजार गर्म है. दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि हेमंत सोरेन खुद भाजपा के टच में हैं. हालांकि, जेएमएम ने इस दावे का खंडन किया है. मगर तस्वीर अब भी धुंधली है. सियासत में कुछ भी परमानेंट नहीं होता. कब वक्त का पहिया घूम जाए कौन जानता है. वह भी ऐसे वक्त में जब जेएमएम के रिश्ते राजद और कांग्रेस से अच्छे नहीं दिख रहे हैं.
जी हां, झारखंड में बड़े राजनीतिक फेरबदल की आशंका अब संभावना में बदलती नजर आ रही है. बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को करारी हार मिली. इस हार के बाद झारखंड में भी इंडिया गठबंधन की नींव हिलती नजर आ रही है. सूत्रों का दावा है कि जीएमएम की राजद और कांग्रेस से बन नहीं रही. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि हेमंत सोरेन और भाजपा के बीच नया गठबंधन हो सकता है. अब सवाल है कि आखिर जेएमएम और भाजपा के बीच गठबंधन का धुआं कैसे उठा, क्या सच में हेमंत सोरेन की जेएमएम और भाजपा मिलकर नई सरकार बना लेगी? आखिर इंडिया गठबंधन में बात कहां बिगड़ी, जिसके चलते इन अटकलों को बल मिला?
अटकलों के पीछे की कहानी क्या?
चलिए पर्दे के पीछे की इस कहानी को समझते हैं. झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं. बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन जरूरी है. वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन में जेएमएम के पास 34, कांग्रेस के 16, राजद के 4 और वामपंथी दलों के 2 विधायक हैं, जो कुल 56 का आंकड़ा बनाता है. मगर जएमएम और भाजपा प्लस गठबंधन वाला नया समीकरण बनता है तो यह आंकड़ा सीधे 58 पहुंच जाता है. इसे ऐसे समझें. अगर जेएमएम (34) भाजपा (21 सीटें), एलजेपीआर (1), एजेएसयू (1) और जेडीयू (1) के साथ जुड़ जाए, तो कुल 58 विधायक हो जाएंगे, जो बहुमत से काफी ऊपर और इंडिया गठबंधन से 2 अधिक है. अब सवाल है कि इंडिया गठबंधन में ऐसा क्या हुआ, जो हेमंत सोरेन की जेएमएम और भाजपा के बीच गठबंधन की अटकलें शुरू हो गईं?
धुआं उठने की क्या वजह?
- पिछले कुछ दिनों से हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन दिल्ली में हैं. सूत्रों का दावा है कि हेमंत सोरेने भाजपा के टॉप लीडर्स के टच में हैं.
- इधर, मंगलवार को झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की.
- इस मुलाकात की टाइमिंग ने जेएमएम और भाजपा के बीच गठबंधन के अटकलों को और हवा दी.
- सूत्रों का कहना है कि बिहार चुनावों के बाद इंडिया गठबंधन में दरारें साफ दिख रही हैं.
- हेमंत सोरेन फिलहाल ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं. वह जमीन घोटाला मामले में जेल भी जा चुके हैं और अभी जमानत पर हैं.
झारखंड में कहां से बिगड़ी गठबंधन में बात
बिहार विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेने की जेएमएम (JMM) ने महागठबंधन में 7 सीटो की मांग रखी थी. हेमंत सोरेन अपनी पार्टी के सिम्बल पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहते थे. लेकिन तेजस्वी यादव ने इस मांग को ठुकरा दिया था. जेएमएम बिहार में चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी, जमुई के साथ झारखंड बिहार से सटे बोर्डर इलाके की 1 और सीटें चाहती थीं. लेकिन मजबूरी में बिहार में गठबंधन टूट गया और JMM ने बिहार में महागठबंधन से मुंह मोड़ लिया. तब JMM महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा था कि हम राज्य में गठबंधन की भी समीक्षा करेंगे क्योंकि हर बार विश्वासघात हुआ है. माना जा रहा है तभी से झारखंड के गठबंधन सरकार में खटास आ गया था.
झारखंड में हेमंत सोरेन के दिल्ली दौरे ने सियासी हलचल पैदा कर दी है.
क्या राजद-कांग्रेस की राह जेएमएम से अलग होगी?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हेमंत सोरेन के कैबिनेट में कई ऐसे मौके आये, जब एक साथ कैबिनेट हॉल में मौजूद रहने और आमने सामने होने बाद भी कांग्रेस और राजद के मंत्रियों से हेमंत सोरेन की बात नही हुई. इतना ही नहीं, बीते दिनों कई कार्यक्रम या तो कैंसल हुए हैं या फिर हेमंत सोरेन उसमें उपस्थित नहीं हुए हैं. स्थ ही मोराबादी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में राजद और कांग्रेस की फोटो न होने से भी गठबंधन में गाठ की खबरों को और बल मिला. साथ ही दुमका में एक कार्यक्रम में राजद और कांग्रेस के मंत्री नदारद दिखे थे. इन सभी चीजों से ऐसा लग रहा है कि झारखंड में खेला होगा.
झारखंड में सियासी हलचल से जुड़े 5 सवाल-जवाब:
झारखंड में सियासी हलचल क्यों मची है?
झारखंड में राजनीतिक हलचल मुख्य रूप से बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की हार के बाद तेज हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के दिल्ली दौरे ने अटकलों को हवा दी है. दावा किया जा रहा है कि वे वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क में हैं. यह इंडिया गठबंधन में दरार का संकेत दे रहा है.
झारखंड की सियासत सुर्खियों में क्यों है?
हेमंत सोरेन का दिल्ली दौरा ही मुख्य वजह है. हेमंत सोरेने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ कुछ दिनों से दिल्ली में हैं. हालांकि, जेएमएम ने इसे निजी यात्रा बताया है, मगर सूत्रों का कहना है कि झारखंड में नए गठबंधन की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है. इसी बीच झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिसने अटकलों को और बल मिला.
क्या हेमंत सोरेन भाजपा से हाथ मिलाएंगे?
इस पर अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता, मगर सूत्रों का कहना है कि जेएमएम भाजपा के साथ नया समीकरण बना सकती है, जिससे कुल 58 विधायक हो जाएंगे (जेएमएम 34, भाजपा 21, अन्य 3). हालांकि, जेएमएम ने इन रिपोर्ट्स का खंडन किया है और कहा है कि झारखंड झुकेगा नहीं. अब देखने वाली बात है कि आगे क्या होता है.
वर्तमान राजनीतिक समीकरण क्या कहते हैं?
झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं, बहुमत के लिए 41 चाहिए. वर्तमान इंडिया गठबंधन में जेएमएम के 34, कांग्रेस के 16, राजद के 4 और वामपंथियों के 2 विधायक हैं, कुल 56. अगर जेएमएम भाजपा के साथ जाती है, तो नया गठबंधन (जेएमएम 34 + भाजपा 21 + एलजेपीआर 1 + एजेएसयू 1 + जेडीयू 1) 58 का आंकड़ा छू सकता है, जो बहुमत से ऊपर है.
अगर गठबंधन बदलता है तो क्या असर पड़ेगा?
अगर हेमंत सोरेन भाजपा से हाथ मिलाते हैं, तो झारखंड में सत्ता परिवर्तन हो सकता है, जो कांग्रेस और राजद के लिए बड़ा झटका होगा. हालांकि, अभी यह केवल अटकलें हैं.


