रायपुर
चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया, छत्तीसगढ़ डायोसीज़ के तत्वावधान में सेलम इंग्लिश स्कूल, मोती बाघ, रायपुर में आज “सशक्तिकरण की ओर: जागरूकता संगोष्ठी” का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम समाज में शिक्षा, अवसर और आत्मनिर्भरता की भावना को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित हुआ। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों को केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी एवं शैक्षिक योजनाओं की जानकारी देना तथा बच्चों और युवाओं को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करना था। “बच्चों का भविष्य शिक्षा और आत्मनिर्भरता से ही सुरक्षित होगा। योजनाएं तभी सफल होंगी जब हम उनका लाभ समय पर उठाएँ।”
सशक्तिकरण का संकल्प
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं, अभिभावकों एवं समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सभी ने एक स्वर से शिक्षा को जीवन का सबसे बड़ा हथियार मानते हुए इन योजनाओं का लाभ उठाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर गेस्ट स्पीकर्स के रूप में आमंत्रित श्री अल्बर्ट कुजूर और श्रीमती शालिनी टोप्पो ने विस्तार से विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। विशेष रूप से उन्होंने PM-VIKAS (प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन) योजना की उप-योजनाओं – सीखो और कमाओ, नई रोशनी, नई मंजिल, उस्ताद और हमारी धरोहर – पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि ये योजनाएं न केवल कौशल विकास और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराती हैं बल्कि भारत की पारंपरिक कलाओं और शिल्पों को भी नई ऊर्जा देती हैं। “गरीबी शिक्षा की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए। सरकार ने रास्ता दिखाया है, अब हमें आगे बढ़कर उसका लाभ लेना है।”
छात्रवृत्तियों से शिक्षा के नए आयाम
कार्यक्रम में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति – ₹5,000/- तक।
स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति – ₹7,000/- तक।
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों हेतु – ₹10,000/- तक की सहायता।
यह संदेश बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए अत्यंत उत्साहवर्धक रहा। वक्ताओं ने कहा कि “गरीबी शिक्षा की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए। सरकार ने रास्ता दिखाया है, अब हमें आगे बढ़कर उसका लाभ लेना है।”
आयोजकों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में सीएनआई डायोसीज़ की बिशप, द राइट रेव. डॉ. सुषमा कुमार और डायोसीज़ सेक्रेटरी श्री नितिन लॉरेंस की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान किया। उनके प्रेरक विचारों ने उपस्थित जनसमूह के भीतर विश्वास और आत्मबल का संचार किया।
सेलम स्कूल की प्रभारी प्राचार्य, श्रीमती रुपिका लॉरेंस, ने मंच से छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा –
“आज का यह आयोजन केवल एक संगोष्ठी नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। अगर हमारे बच्चे शिक्षित होंगे, आत्मनिर्भर होंगे, तभी परिवार, समाज और राष्ट्र मजबूत होगा। हमें इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपने बच्चों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाना है।”
“हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा पढ़े, सीखे और अपनी प्रतिभा से समाज को रोशन करे। यह संगोष्ठी उसी दिशा में एक मजबूत कदम है।”
भविष्य की दिशा
आयोजकों ने घोषणा की कि इस तरह की संगोष्ठियां आगे भी निरंतर आयोजित की जाएंगी, ताकि अल्पसंख्यक समुदाय जागरूक होकर शिक्षा और सरकारी योजनाओं से अधिकतम लाभ उठा सके।
सेलम इंग्लिश स्कूल ने इस पहल को सफल बनाने के लिए चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया, छत्तीसगढ़ डायोसीज़ का विशेष आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, गेस्ट स्पीकर्स, वक्ताओं और उपस्थित लोगों का हार्दिक आभार प्रकट किया गया। “शिक्षा ही वह दीपक है जो अंधकार मिटाकर हर घर में उजाला कर सकती है।”
जनहित का संदेश
यह संगोष्ठी वास्तव में समुदाय के सशक्तिकरण, शिक्षा और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि “शिक्षा ही वह दीपक है जो अंधकार मिटाकर हर घर में उजाला कर सकती है।”