शिवपुरी
तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। लोकायुक्त की टीम ने शुक्रवार को पोहरी तहसील में पदस्थ एक बाबू को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी बाबू तहसीलदार के नाम पर अतिक्रमण हटवाने की प्रक्रिया में आदेश जारी कराने के लिए किसान से 20 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था। किसान ने रकम घटाने की बात कही, तो बाबू 10 हजार रुपये लेने को तैयार हो गया। लोकायुक्त ने रकम लेते उसे मौके पर ही पकड़ लिया।
जानकारी के मुताबिक, ग्राम बरईपुरा निवासी अतर सिंह धाकड़ व उनके भाई नारायण धाकड़ की कृषि भूमि पर ओमप्रकाश शाक्य और अन्य ने अवैध कब्जा कर लिया था।
इस अतिक्रमण के चलते वहां से गुजरने वाले नाले का प्रवाह रुक गया, जिससे नाले का पानी अतर सिंह के खेत में भरने लगा और उनकी फसलें बर्बाद होने लगीं। परेशान होकर अतर सिंह ने 26 जुलाई 2024 को तहसीलदार निशा भारद्वाज को शिकायत सौंपी थी।
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए तहसील कार्यालय में अतिक्रमण प्रकरण क्रमांक 306/आर-68/2024-25 दर्ज किया गया। पटवारी से मौका मुआयना कर रिपोर्ट मंगवाई गई। जांच में अतिक्रमण की पुष्टि हुई, जिसके बाद अतिक्रमण हटवाने के आदेश जारी होने थे। आदेश निकालने के एवज में बाबू पुनीत गुप्ता ने 20 हजार रुपये की मांग की।
लोकायुक्त ने योजना बनाकर पकड़ा
किसान अतर सिंह ने जब पैसे देने में असमर्थता जताई तो बाबू ने साफ कहा कि तहसीलदार का स्तर बड़ा है, इसलिए कम पैसे में काम नहीं होगा। इस पर किसान ने 10 जून 2025 को लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करवा दी। शिकायत की जांच में आरोप सही पाया गया और बाबू 10 हजार रुपये में सौदा करने को तैयार हो गया।
इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने योजना बनाकर शुक्रवार को अतर सिंह को पैसे के साथ बाबू के पास भेजा। जैसे ही बाबू पुनीत गुप्ता ने रिश्वत की रकम हाथ में ली, लोकायुक्त टीआई कवीन्द्र सिंह चौहान और उनकी टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
15 सदस्यीय टीम ने की कार्रवाई
इस कार्रवाई को अंजाम देने में टीआई कवीन्द्र सिंह चौहान के साथ निरीक्षक बलराम सिंह राजावत, अंजली शर्मा सहित 15 सदस्यों की टीम शामिल रही। लोकायुक्त ने आरोपी बाबू के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है और आगे की जांच शुरू कर दी गई है।