नई दिल्ली, (mediasaheb.com) भारत ने पाकिस्तान की देश में अलगाव फैलाने की नीति और उस नीति को आगे ले जाने वाले उसके समर्थित संगठनों के खिलाफ शुक्रवार को ‘जीरो टॉलरेंस’ दर्शाया है। एक तरफ दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग में अलगावादियों को आमंत्रण के बाद उसके राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(जेकेएलएफ) पर प्रतिबंध लगा दिया है। अलगाववाद को लगातार समर्थन दे रहे पाकिस्तान को भारत सरकार की तरफ से कड़ा संदेश दिया गया है। ‘पाकिस्तान दिवस’ समारोह के सिलसिले में पाकिस्तानी उच्चायोग द्वारा आयोजित समारोह में भारत की ओर से किसी सरकारी प्रतिनिधि ने शिरकत नहीं की। पाकिस्तानी उच्चायोग द्वारा आयोजित समारोह में जम्मू कश्मीर के पृथकतावादी संगठन हुर्रियत के नेताओं को आमंत्रित किए जाने के विरोध में भारत ने यह फैसला किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस्लामाबाद में आयोजित पाकिस्तान दिवस समारोह में भी कोई भारतीय प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। पाकिस्तान दिवस का आयोजन 23 मार्च,1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान की स्थापना के संबंध में स्वीकृत प्रस्ताव के सिलसिले में मनाया जाता है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद शुक्रवार को सरकार ने अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ पर गैर-कानूनी गतिविधि(निरोधक) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा दिया। इसके प्रमुख यासीन मलिक, जिन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत बुक किया गया था, 22 फरवरी से गिरफ्तारी के बाद जम्मू की कोट बलवाल जेल में बंद हैं। इससे पहले केन्द्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी संगठन पर भी प्रतिबंध लगाया था। गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि जेकेएलएफ कानूनी रूप से स्थापित देश की सरकार के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ने और आतंकी गतिविधियों को वित्तीय सहायता करने जैसी गंभीर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था।
संगठन पर कुछ हत्याओं के मामलों की जांच चल रही है। वह सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए पत्थरबाजों को उकसाता और धन मुहैया कराता था। उन्होंने कहा कि जेकेएलएफ कश्मीर घाटी से 1989 और उसके बाद कश्मीरी पंडितों के पलायन का मास्टरमाइंड था। इस संगठन ने कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हिंसा और नरसंहार जैसी कार्रवाई की है। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की इस ताजा कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एक ट्वीट में महबूबा ने कहा, ”यासीन मलिक ने काफी समय पहले जम्मू-कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के एक तरीके के रूप में हिंसा को त्याग दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किए गए संवाद में उन्हें एक हितधारक के रूप में माना गया था। उसके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा? इस तरह के संवैधानिक कदम ही कश्मीर को खुली हवा में जेल बना देंगे।” (हि.स.)।