नई दिल्ली (media saheb.com) दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दे दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इस मामले पर अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी। कोर्ट की ओर से तलब किए जाने के बाद सोमवार को पत्रकार प्रिया रमानी कोर्ट में पेश हुईं। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने जमानत याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
रमानी ने कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट के लिए भी याचिका दायर की। इस याचिका का एमजे अकबर के वकील ने विरोध किया, जिसके बाद रेबेका जॉन ने कहा कि आपके मुवक्किल एमजे अकबर भी तो कोर्ट नहीं आए हैं। शिकायतकर्ता को तो कोर्ट में खुद मौजूद होना चाहिए। पिछले 29 जनवरी को कोर्ट ने के खिलाफ प्रिया रमानी को समन जारी किया था। इस मामले में सात लोगों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। 11 जनवरी को जिन लोगों के बयान दर्ज हुए, उनमें तपन चाकी, मंजर अली और रचना गोयल शामिल हैं। तपन चाकी पेशे से कम्युनिकेशंस कंसल्टेंट हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि वह एमजे अकबर को पिछले 30 सालों से जानते हैं। जब एमजे अकबर द संडे के संपादक थे तो तपन चाकी उनके लिए लिखा करते थे। चाकी ने बताया था कि एमजे अकबर एक सज्जन व्यक्ति हैं और उनकी छवि एक व्यवहार कुशल और दोस्ताना व्यक्तित्व की है।
जब उन्हें प्रिया रमानी के ट्वीट्स के बारे में जानकारी मिली तो काफी आश्चर्य और दुख हुआ। एमजे अकबर की पूर्व निजी सचिव रचना गोयल ने बताया था कि उन्होंने एमजे अकबर के साथ 10 सालों तक काम किया है। इस दौरान एमजे अकबर का व्यवहार काफी प्रोफेशनल रहा और उनकी कभी कोई शिकायत सुनने को नहीं मिली। उन्हें भी प्रिया रमानी के ट्वीट्स को पढ़ने के बाद काफी धक्का लगा। पिछले 25 वर्षों से एमजे अकबर के निजी सचिव रहे मंजर अली ने कहा था कि उन्होंने प्रिया रमानी के सभी ट्वीट्स के प्रिंटआउट अकबर के दफ्तर में लगे कम्प्यूटर से लिए। 7 दिसम्बर 2018 को दो गवाहों ने अपनी गवाही दर्ज कराई थी। इनमें वीनू संदल और सुनील गुजराल शामिल थे। हि.स