– पुलवामा में आतंकी हमले के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार का बड़ा फैसला
– केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर दी जानकारी
नई दिल्ली, (media saheb.com) पुलवामा हमले पर देशवासियों के गुस्से को देखते हुए आखिरकार भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला किया। भारत ने पाकिस्तान जाने वाला अपनी तीन नदियों का पानी रोकने का बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडगरी ने ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी दी। इस पानी को मोड़कर जम्मू-कश्मीर और पंजाब को दिया जाएगा। इसके पहले गडकरी ने बुधवार को बागपत के बालैनी में कहा था कि पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोका जाएगा।
डैम का निर्माण शुरू गड़करी ने ट्वीट कर कहा,
‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि हम पाकिस्तान को दिए जाने वाले अपने हिस्से के पानी को रोकेंगे। इस पानी को पूर्वी नदियों और सप्लाई के जरिये जम्मू-कश्मीर और पंजाब के लोगों के लिए भेजा जाएगा। रावी नदी पर शाहपुर- कंडी डैम का निर्माण शुरू हो चुका है। यूजीएच परियोजना हमारे हिस्से के पानी को स्टोर करेगी। सभी परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है।
‘ बहुत हो चुका
गडकरी ने साफ किया है कि तीन नदियों व्यास, रावी और सतलुज पर बने बांधों की मदद से पाकिस्तान को दिए जा रहे पानी को अब पंजाब और जम्मू-कश्मीर की नदियों में प्रवाहित किया जाएगा। व्यास, रावी और सतलुज नदियों का पानी भारत से होकर पाकिस्तान पहुंचता है। केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को कहा था कि भारत इन तीन नदियों का पानी यमुना में छोड़ेगा। इस बीच गुरुवार को उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत सिंधु जल संधि के तहत तीन नदियों से पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को बंद करने जा रहा है।
परियोजनायें तैयार
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बालैनी में बुधवार को कहा था कि व्यास, रावी और सतलुज के लिए परियोजनायें तैयार कर ली गई हैं। दिल्ली-आगरा से इटावा तक जलमार्ग की डीपीआर भी तैयार है। बागपत में रिवर पोर्ट बनाया जाएगा। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग दिल्ली से आगरा जलमार्ग से जा सकेंगे। बागपत में यमुना किनारे बनाने वाले रिवर पोर्ट से चीनी बांग्लादेश और म्यांमार तक भेजी जाएगी। प्रयागराज से वाराणसी तक जलमार्ग तैयार है। इसके लिए रूस से एक बोट मंगाई जा रही है। इसमें 14 लोग बैठ सकते हैं। इसकी गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा है। अगले महीने इसी बोट में वाराणसी से प्रयागराज तक का सफर पूरा किया जाएगा।
लोग हुए खुश
नितिन गडकरी के ट्वीट से देशवासी खुश हैं। पुलवामा हमले के बाद से ही देश के लोग भारत सरकार से पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। पहले भी कई बार यह मांग की जा चुकी है कि सिंधु जल संधि के बावजूद पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोक दिया जाए।
संधि का सितम
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर 19 सितंबर, 1960 को हुए थे। भारत की ओर से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के बीच यह संधि विश्व बैंक के हस्तक्षेप से हुई थी। इससे पहले करीब एक दशक तक दोनों देशों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई थी। सिंधु जल संधि के भारत को 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) पानी मिला है, जबकि पाकिस्तान को 80 एमएएफ पानी दिया गया है। विवादास्पद यह है कि संधि के तहत पाकिस्तान को भारत से अधिक पानी मिलता है, जिससे यहां सिंचाई में भी इस पानी का सीमित उपयोग हो पाता है। केवल बिजली उत्पादन में इसका अबाधित उपयोग होता है।(हि.स.)।