कुरुक्षेत्र की मोक्षदायिनी भूमि पर हुआ था भगवान श्रीकृष्ण व यशोदा मैय्या-राधा का आखिरी मिलन
चंडीगढ़, ( mediasaheb.com) । दुनिया को कर्म का संदेश देने वाली कुरुक्षेत्र की भूमि मोक्षदायिनी भी है। सूर्यग्रहण पर स्नान करने से न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है। सूर्य ग्रहण के बाद कुरुक्षेत्र में किए गए दान का विशेष महत्व माना गया है। यही नहीं इसी मोक्षदायिनी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण व यशोदा मैय्या-राधा का आखिरी बार मिलन हुआ था।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 26 नवम्बर को मूल नक्षत्र धनु राशि में सूर्य ग्रहण लगेगा। लिहाजा महाभारत की रणभूमि कर्म के साथ पापों से मुक्तिदायक भी है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार महाभारत की एक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के मथुरा छोड़ने के बाद अपने माता-पिता (यशोदा और नंद बाबा) व देवी राधा से आखिरी मुलाकात हुई थी। यही नहीं सभी गोपियों संग भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र ब्रह्मसरोवर में स्नान किया था। गोपियों से मिलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कुंती व द्रौपदी सहित पांचों पांडवों से भेंट हुई। सूर्यग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।
अश्वमेघ यज्ञ बराबर होती है पुण्य की प्राप्ति
पूर्व प्रधानमंत्री एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संस्थापक स्व. गुलजारी लाल नंदा के सहयोगी आरडी गोयल बताते हैं कि ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना पुण्य अश्वमेघ यज्ञ को करने के बाद मिलता है। यह सरोवर 1800 फीट लम्बा और 1400 फीट चौड़ा है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर ब्रह्मा सरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण ने भी इस सरोवर में किया स्नान
सूर्यग्रहण पर भारत के कई प्रदेशों अंग, मगद, वत्स, पांचाल, काशी, कौशल के कई राजा-महाराजा बड़ी संख्या में स्नान करने कुरुक्षेत्र आए थे। द्वारका के दुर्ग को अनिरुद्ध व कृतवर्मा को सौंपकर भगवान श्रीकृष्ण, अक्रूर, वासुदेव, उग्रसेन, गद, प्रद्युम्न, सामव आदि यदुवंशी व उनकी स्त्रियां भी कुरुक्षेत्र स्नान के लिए आई थीं।
2 घंटे 36 मिनट रहेगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव
धार्मिक शोध केंद्र के संचालक ऋषभ वत्स का कहना है कि इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लग रहा है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन लगता है। हिंदू पंचांग की मानें तो पौष माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पितृदोष शांति और पिछले जन्म के पापों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं, लेकिन सूर्य ग्रहण लगने से अमावस्या के ये उपाय सूतक लगने से पहले ही कर लिए जाएंगे। सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर सुबह आठ बजकर 18 मिनट और 28 सेकेंड से सूर्यग्रहण कुरुक्षेत्र में दिखाई देगा। इसकी कुल अवधि दो घंटे 36 मिनट 38 सेकेंड रहेगी। यह सूर्यग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा, लेकिन इसकी कंकण आकृति केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि दक्षिण भागों में दिखेगी शेष भारत में यह खंड ग्रास के रूप में दिखाई देगा। (हि.स.)