भिलाई(media saheb.com). मिड सेशन में पढ़ाई छोडऩे का मन बनाने वाली अंबिकापुर की रश्मि सिंह ने अपने दूसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई किया है। पिता और दो बड़ी बहनों के साथ ही वह घर की चौथी डॉक्टर बनने जा रही है। रश्मि ने बताया कि नीट की तैयारी करते हुए एक वक्त ऐसा आया जब मिड सेशन में डिप्रश्ेान की शिकार हो गई। एक दिन तो बचपन का सपना टूटने के डर से पढ़ाई तक छोडऩे का भी मन बना लिया था। इसी बीच छत्तीसगढ़ के मशहूर हार्ट सर्जन और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के एक्स स्टूडेंट डॉक्टर कृष्णकांत साहू को सुनने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि कैसे कठिनाईयों के गुजरकर वो गांव के स्कूल में पढ़कर डॉक्टर बने। तब मुझे भी लगा कि नहीं मैं हार नहीं मान सकती हूं। इसके बाद धीरे-धीरे मेहनत करती गर्ई आखिरकार सफलता का परचम हाथ में आ ही गया। एमबीबीएस के बाद हार्ट सर्जन बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती हूं। ताकि दिल का इलाज करते हुए लोगों के दिल तक पहुंच सकू।
पहली बार छोड़ा था घर, खुद को एडजेस्ट करने में निकल गया समय
अंबिकापुर की रहने वाली रश्मि ने बताया कि उन्होंने नीट की तैयारी के लिए एक साल ड्रॉप लिया था। इसी बीच भिलाई में सचदेवा कोचिंग में एडमिशन लिया। पहली बार घर वालों से दूर रहकर पीजी में पढ़ाई करना मेरे के लिए बहुत मुश्किल रहा। काफी समय तो खुद को हॉस्टल में एडजेस्ट करने में ही निकल गया। भिलाई आने से पहले पिता रोड एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे। ऐसे में दो महीने बाकी बच्चों से पीछे कोचिंग ज्वाइन किया। पूरा वक्त सिलबेस में पीछे रह गई यही सोचकर निकलने लगा। एक तरह से खुद को मानसिक रूप से कमजोर महसूस करने लगी। ऐसे में बड़ी बहनों ने हौसला दिया। पापा ने भी कहा कि तुम जितना कर सकती हो उतना की करो। खुद को प्रेशर मत दो। धीरे-धीरे दो महीने के सिलेबस को बहुत जल्दी कवर करके आगे बढ़ पाई।
बायो और मैथ्स लेकर दिया बोर्ड एग्जाम
नीट क्वालिफाई करने वाली बड़ी बहनों ने फिजिक्स की दिक्कत से पहले ही अवगत करा दिया था। इसलिए 11 वीं में बायो-मैथ्स सब्जेक्ट का सलेक्शन किया। 12 वीं बोर्ड में 93 प्रतिशत अंक हासिल किए, लेकिन नीट के पहले अटेम्ट में फेल हो गई। उस वक्त दिमाग में ये बात तो फिट हो गई थी कि थोड़ा मेहनत करूंगी तो नीट अच्छे रैंक के साथ क्वालिफाई कर सकती हूं। इसलिए कोचिंग के लिए सीधे भिलाई सचदेवा कॉलेज आ गई।
डिप्रशेन के दौर में जैन सर ने संभाला
मिड सेशन में जब मैं डिप्रेशन की शिकार हुई तो उस वक्त पैरेंट्स अंबिकापुर में थे। उनसे हर बात शेयर करने में भी झिझक हो रही थी, तब चिरंजीव जैन सर ने पैरेंट्स की तरह न सिर्फ मेरी काउंसङ्क्षलग की बल्कि अलग-अलग प्रेरक कहानियां सुनाकर मोटिवेट भी किया। वे हर रोज मुझसे कहते थे कि तुम कर सकती हो रश्मि। जब रिजल्ट आया तो सच में लगा कि हां मैंने कर दिया। ड्रॉप इयर में कई बार बच्चे खुद से हारने लगते हैं फेल्यिर उन पर हावी हो जाता है। ऐसे में काउंसलिंग की बहुत जरूरत होती है। सचदेवा में पढ़ाई के साथ-साथ बीच में काउंसलिंग सेशन होता है जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई के अलावा भी बाकी परेशानी बड़ी आसानी से जैन सर से शेयर करते हैं। चंद मिनटों में वे उन समस्याओं का हल भी निकाल देते हैं। ताकि हम फिर से पढ़ाई में मन लगा सके।
सिर्फ सलेक्टिव मेटर पढऩे से हुआ प्रेशर कम
रश्मि ने बताया कि नीट की तैयारी के दौरान सचदेवा कॉलेज के स्टडी मटेरियल से काफी मदद मिली। वहां के एक्सपर्ट टीचर्स ने ऐसा सलेक्टिव मैटर तैयार किया है जो पूरा कोर्स कवर करता है। इसलिए बाहर से और जरूरत से ज्यादा पढऩे की जरूरत नहीं पड़ती है। जिसके कारण रिवीजन का काफी वक्त मिल जाता है। सचदेवा के एक्स स्टूडेंट डॉ. कृष्णकांत साहू की जर्नी जानकर काफी प्रेरणा मिली। अपने क्षेत्र के सफल इंसानों से मिलकर उत्साह दोगुना बढ़ जाता है। (the states. news)