महात्मा गांधी के जीवन का मार्मिक पहलू का सुंदर मंचन है ‘गांधी विरुद्ध गांधी’-सडडू स्थित जनमंच में खेला गया नाटक,
रायपुर. (Mediasaheb.com) छत्तीसगढ़ (#Chhattisgarh ) फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी द्वारा संचालित जनमंच में वीक एंड थियेटर के अंतर्गत रविवार को पहली बार दिनकर जोशी के उपन्यास पर आधारित नाटक (#Drama ) ‘गांधी विरुद्ध गांधी’ (#’Gandhi Vs Gandhi ‘) की प्रस्तुति हुई. नाटक (#Drama ) की अंतरवस्तु इतनी मार्मिक और प्रभावी रही कि प्रेक्षक के मन को छू गई |
नाटक की शुरूआत में पिता के रुप में गांधी (#Gandhi )और उनके बड़े पुत्र हरिलाल के साथ संबंधों को दिखाया गया है। ‘गांधी विरुद्ध गांधी'(#’Gandhi Vs Gandhi ‘)को सतही तौर पर देखा जाए तो ये एक महान पिता और बौने व्यक्तित्व वाले बेटे के आपसी किन्तु तनावपूर्ण अंतरसंबंधों पर आधारित एक रोचक, सनसनीखेज और विचारोत्तेजक कथानक को दिखाया गया है। नाटक में स्वतंत्रता आंदोलन में समर्पित व अपने सिद्धांतों-विचारों पर अडिग रहने वाले महात्मा गांधी और उनके बड़े बेटे हरिलाल की कहानी को दिखाया गया है। हरिलाल जो उपेक्षा और भेदभाव का शिकार महसूस करता है, पिता की छत्रछाया में अपने अस्तित्व की तलाश करता है।
नाटक (#Drama ) का दृश्यांकन अफ्रीका में गांधी (#Gandhi ) के साथ काम करते हुए हरिलाल एक दिन पाता है कि उसे अपने पिता की महान छाया से बाहर निकलकर अपना अस्तित्व बनाना होगा। यहीं से दोनों के बीच ऐसे तनावपूर्ण संबंध बनने लगते हैं जिसका असर पूरे परिवार यानी बा, भाई मणि, हरिलाल की पत्नी गुलाब पर पड़ता है। यह तनाव नाटक के छोटे छोटे प्रसंगों के जरिए इस तरह से निर्मित होता है कि प्रेक्षक गांधी और उनके पुत्रों के साथ संबंधों की मार्मिकता से भी परिचित होते हैं तो दूसरी तरफ अंतर्द्वंद्वों से भी वाकिफ होते हैं।
कोई भी नया नाटक (#New Drama ) निश्चित तौर पर एक नई अनुभूति और अनुभव दे जाता है। लेकिन नाटक (#Drama ) यदि किसी वास्तविक चरित्र पर हो तो उसका अपना ही एक रोमांच होता है और अलग तरह के खतरे और यदि महात्मा गांधी का चरित्र हो तो हर तरह के संतुलन की आवश्यकता होती है। इस नाटक (#Drama ) के दौरान समझ आता है कि मोनिया यानी मोहन दास करमचंद गांधी (#Mohan das karamchand Gandhi ) से महात्मा गांधी होना आज के समय में तो असम्भव प्रतीत होता है। इस नाटक को हर उम्र हर जाति हर वर्ग हर सम्प्रदाय व विभिन्न वाद मानने वालों,पेशेवरों ,नेताओं आदि सभी को देखना और समझकर व्यवहार में ढालना चाहिए।
मंच पर अभिनय करने वालों में देवदास-श्रवण गढ़वाल, रामदास- अंशुल कपाडिया, मणिलाल- मिहिर कसेरा व युवा दीपेश चाण्डक, किशोरवय हरिलाल-पलाश तिवारी व युवा शेखर वाजपेयी, कस्तूरबा गांधी- शिवानी गुप्ता, युवा मोहनदास गांधी-आशीष शर्मा, गुलाब-इशिता जोशी, नायडू-तुषार रामडिया, छगन लाल- मयंक शर्मा, ललिता- ननिका जैन, चंदा- आयुषी चतुर्वेदी, आश्रम सदस्य- आकाश बिवलकर, रामी- आयुषी चतुर्वेदी, बापू- दीपक वाघमारे, रवि बाबू- आकाश बिवलकर, महादेव- पवन पटेल, महात्मा गांधी-अनुराग मिश्र, मध्यवय हरिलाल- चंद्रशेखर कुरील, सुरक्षाकर्मी- मयंक शर्मा, युवा कांति- अंशुल कपाडिया, सरस्वती -सुरभि पंजाबी ने अभिनय किया जबकि संगीत संचालन रोमी सेन, तुषार रामडिया, संगीत संकलन- अंकित शर्मा, वेशभूषा- संगीता परमार व नैनिका जैन ने योगदान दिया|
छत्तीसगढ़ (#Chhattisgarh ) फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी की निदेशक रचना मिश्र ने बताया कि जनमंच में वीक एंड थियेटर के अंतर्गत कल 30 दिसंबर सोमवार की शाम 6.30 बजे गुड़ी रायगढ़ (#Raigarh) की प्रस्तुति ‘बड़े भाई साहब’ का मंचन किया जाएगा। मुंशी प्रेमचंद (#Munshi Premachandra ) की कहानी पर आधारित इस नाटक (#Drama ) की परिकल्पना निर्देशन डॉ. योगेन्द्र चौबे ने किया है।